राजन मिश्रा
विशेष रिपोर्ट
3776 एवं 711 कोटि के संस्कृत विद्यालयों के संदर्भ में आज 31 अगस्त 2010 को 300 और 621 अन्य संस्कृत विद्यालयों के प्रस्वकृति एवं वेतन के भुगतान संबंध में मंत्री परिषद एवं लोक शिकायत निवारण के निर्णय को लागू कराने को ले किया गया प्रदर्शन
पटना – सचिवालय के समीप गर्दनीबाग मे आज एक दिवसीय धरना प्रदर्शन समग्र संस्कृत सह शिक्षक कल्याण संस्थान के लोगों द्वारा भूखे-प्यासे रहकर किया गया जिसमें माथे पर काली पट्टी को बांध कर तमाम शिक्षको द्वारा अपना विरोध प्रकट करते हुए अपनी बातों को सरकार तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई इस धरना प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य 3776 एवं 711 कोटि के संस्कृत विद्यालयों के संदर्भ में 31 अगस्त 2010 को 300 एवं 621 अन्य संस्कृत विद्यालयों के प्रस्वीकृती एवं भुगतान के संबंध में मंत्रिपरिषद लोक शिकायत निवारण के निर्णय को लागू कराने हेतु किया गया संस्थान के अध्यक्ष रामाधार सिंह ने बताया कि मदरसा विद्यालयों को सरकार ने स्वीकृति देते हुए 814 मदरसों का वेतन भुगतान अतिशीघ्र करा दिया जबकि संस्कृत विद्यालयों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है इस मामले पर उन्होंने कहा कि वर्णित 300 संस्कृत विद्यालयों के अलावे बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड द्वारा बाद में प्रस्वीकृती हेतु प्रस्ताव पारित कर भेजे जाने वाले विद्यालयों को स्वीकृति देकर भुगतान की श्रेणी में लाने का निर्णय किया गया था जिसे लेकर सरकार के शिक्षा विभाग के पास विद्यालयों की सूची भेजी गई थी लेकिन 37 वर्षों के बाद भी सरकार द्वारा वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है जिसके कारण हजारों शिक्षक व सेवानिवृत्त शिक्षकों की मौत हो गई इसकी सारी जवाबदेही आज बिहार सरकार शिक्षा विभाग को है उन्होंने यह भी कहा कि संस्कृत भाषा के अलावे राज्य सरकार द्वारा दुसरे शिक्षा संकायों को लगातार विकास के रास्ते पर ले जाया जा रहा है लेकिन संस्कृत भाषा को समाप्ति के कगार पर पहुंचा दिया गया है संस्कृत भाषा को समृद्धि के स्थान पर बिहार सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा इस भाषा को समाप्त करने की साजिश की जा रही है शिक्षा विभाग में गठित लोक शिकायत के अनुसार सचिव बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के पत्रांक 1081 दिनांक 15-5-18 के द्वारा 300 एवम् 621 विद्यालयों के पारित आदेश विशेष निदेशक शिक्षा विभाग को भेजा गया जिसमें अभी तक कोई कार्रवाई नजर नहीं आ रहा जिससे बाध्य होकर संगठन द्वारा दिनांक 31 अगस्त 2018 को माथे पर काली पट्टी बांधकर विरोध प्रकट करते हुए सारे मामलों को सरकार से अवगत कराना इस धरना प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य रहा
ज्ञात हो कि संगठन द्वारा 5 दिसंबर 2017 से 8 जनवरी 2018 तक आमरण अनशन दो दिवसीय दिनांक 24 एवं 25 जुलाई 2018 को महा धरना आयोजन के बाद महामहिम राज्यपाल जी से वार्ता के उपरांत आज तक विभाग द्वारा कोई उचित कदम नहीं उठाया गया इस धरना प्रदर्शन के माध्यम से 31 अगस्त 2010 के संस्कृत विद्यालयों के संबंध में बिहार सरकार के मंत्री परिषद एवं लोक शिकायत निवारण निर्णय को लागू करने का आग्रह करते हुए संगठन के प्रतिनिधियों से वार्ता कर इस गंभीर समस्याओं के निदान की व्यवस्था करने की कोशिश की गई
राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में सही निर्णय नहीं लेने के उपरांत विद्यालयों को दान देने वाले दाताओ के हृदय पर कुठाराघात है इसी से संबंधित विद्यालय संचालक शिक्षक शिक्षकेतर कर्मचारी छात्र छात्राओं को भी कठिनाई हो रही है जो जनहित में सही नहीं है
इस धरना प्रदर्शन में बिहार के तमाम जिलों के संस्कृत शिक्षक शिक्षकेतर कर्मचारी सहित संस्थान के अध्यक्ष रामाधार सिंह, कोषाध्यक्ष सिद्धनाथ आजाद ,संरक्षक रामचरित्र सिंह दांगी ,संगठन सचिव अलख निरंजन एवं बक्सर जिले के वशिष्ठ मुनि चौबे, मुखदेव राय ,डॉक्टर शिवजी सिंह, मुन्ना ठाकुर, राजन मिश्रा सहित कई जिलों के शिक्षक संघ के लोग मौजूद रहे